Wednesday 23 November 2016

“पानी एक आदर्श“

                                
स दिन कक्षा में लेक्चर लेते वक़्त आचानक मेरा ध्यान पानी की तरफ गया और बच्चों के शोर से प्रेरित होकर सोच ही रहा था की इन्हें किस प्रकार समझाऊ की यह कक्षा में बैठने की तहजीब सीख सकें और आगे जीवन में कम से कम अपनी तहजीब की वजह से तो पीछे ना  रहे . तब मैंने उन्हें स्वयं को पानी की तरह से बनने को कहा और उन्हें पानी के एक बड़े खास गुण के बारे में बताया यानी की पानी की कोई भी आकर लेने की शमता .
शयद आपने भी कभी इस तथ्य पर गौर न किया हो की पानी जिस भी बर्तन में रहता है उसी बर्तन का आकर ले लेता है ,इससे पानी को कोई भी तकलीफ नहीं होती . मनुष्य भी अगर पानी का ये गुण खुद में विकसित कर ले तो यकीन मानिये वो हर परिस्थिति में ख़ुशी निश्चित कर सकता है क्यूंकि इस तरह से वह अपने सवभाव के अनुसार कम करेगा क्यूंकि मनुष्य भी पञ्च तत्वों (हवा, पानी ,आग ,आकाशऔर पृथ्वी ) से  मिलकर ही तो बना है . 

इस प्रकार अगर वो खुद में यह अनुभूति कर सकेगा तो पानी जैसा गुणवान बन सकता है .

अक्सर हम मनुष्य को परिष्ठितियो को जिम्मेदार ठहराते हुए देख सकते हैं , कोई कम अगर ना हो पाए तो फालानी परिस्थिति की वजह से नहीं हो पाया और इस तरह की ही बातें आमतोर पर सुनने को मिल सकती हैं .
अगर परिस्थितियां हमे प्रभावित करती हैं तो सिर्फ तभी जब हम खुद को परिस्थितियों के सामने झुका देते हैं, आप जितने भी सफल व्यक्तियों की जीवन कहानी पढेंगे उनमे एक बात आपको ज्यादातर सामान ही मिलेगी , और वाही बात की वजह से वो सफल हो पाए , उन्होंने आपने आपको पानी की तरह से इतना लचकदार बनाया की कभी परिस्थितियां उन्हें डरा नहीं पाई और जब वो डरे ही नहीं तो उनकी जीत तो डर से भी पहले निश्चित हो गयी, उदहारण के लिए लिए अगर हम अरुणिमा सिन्हा (everest climber ) जिसने अपाहिज होने के बावजूद भी एवेरेस्ट लांघने की हिम्मत जुटाई , इसपर जब वो बचेंद्री पल (a famous mountainer ) से मिली तो  उसने उससे यही शब्द कहे की तूने इस परिस्थिति में भी अपने आप को उत्साहित रखा , तू वाकई ही पर्वत लाँघ चुकी है.
पानी का यह गुण मनुष्य अपने अन्दर से अपने कार्यों में भी ला सकता है. परन्तु इसके लिए उसे यह निश्चित करना होगा की वह वाकई ही मनुष्य का जनम जी रहा है , मनुष्य जब यह जान  लेगा तो उसे यह समझने में भी कोई समस्या नहीं होगी की वो परिस्थितियों का विरोध करने में ही अपना समय और उर्जा नष्ट करे या फिर परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालकर उनको बदलने की कोशिश करे .
अक्सर हम प्रकृति से यह सीख सकते हैं की रात कितनी ही घनी हो उसके बाद सवेरा होता ही है, इसी तरह समस्या कितनी भी जटिल क्यों न हो उसका समाधान भी अवश्य ही होगा, परन्तु यह समाधान आत्म विश्लेषण से ही मिलेगा .
पानी सचमुच में एक ऐसा तत्व है जिसकी जितनी भी प्रशंशा की जाए कम है . जितनी लचकता और नमर्ता इसमें है  वैसी ही सचमुच मनुष्य में भी आ सकती है यदि वह यह चीज महसूस करना शुरू कर दे की उसका तो अस्तित्व भी पानी से ही है . पानी पर ही भारतवर्ष के प्रसिद्ध कवी कविवर रहीमदास जी का एक दोहा बड़ा प्रसिद्ध है , “ रहिमन पानी रखिये , बिन पानी सब सून , पानी गए ना उबरे , मोती मानुष चून I पानी जैसा धैर्य , पानी जैसी नमर्ता , शीतलता , बहाव ,ये  सभी गुण मनुष्य में आ  जायें तो मनुष्य सचमुच एक रोचक और उद्देस्य्पूर्ण जीवन जी सकता है . एक बार पानी के इस महान गुण को खुद से जोड़कर देखिएगा सचमुच रुका हुआ जीवन भी पानी की तरह अपने बहाव से बहता हुआ महसूस करेंगे.

                                                JATTIN KAKKAR-JK

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